Monday, 29 January 2018

006 - तभी हम तीसरे तिल पर कैसे पहुँचेंगे ?







जिस पल हम भजन-सुमिरन का अभ्यास शुरू करते हैं, उसी पल से संतों के बताए मार्ग पर चलना शुरू कर देते हैं। उसी पल से हमारी सारी धारणाएँ पीछे रह जाती हैं। और अनुभव होना शुरू हो जाता है।



जब हम भजन-सुमिरन के लिए बैठेंगे, तभी मन निश्छल होगा, तभी हम तीसरे तिल पर पहुँचेंगे, तभी हम अंतर में प्रवेश करके हमें अपने अनश्वर स्वरूप की पहचान होगी और फिर हम परमपिता परमात्मा से मिलाप करने के काबिल होंगे। जो कुछ भी मिलेगा, भजन-बंदगी द्वारा ही मिलेगा। इसिलए कहा जाता हैं, हम सबसे महत्वपूर्ण कार्य कर रहे होते हैं और वह है मनुष्य होने अपनी रहनी, करनी और चेतना में सुधार लाना।

इसलिए जब हमारा मन या समाज वाले यह कहें: 'यो ही चुपचाप न बैठे रहो, उठो, कुछ करो,' तो हमें खुद को दोषी नही समझना चाहिए बल्कि हमें खुद से कहना चाहिए: 'यो ही काम-धंधों में न खोए रहो, भजन में बैठो।' आम लोगों को भजन-सुमिरन की असली क़ीमत का पता नही है.

1 comment:

  1. Dhyaan kahan lagaana chahiye , forehead ke kaunse hisse mein ?
    Is there anyone to answer ?
    How can we know that we are progressing spiritually
    Jay
    7226062314

    ReplyDelete

Popular Posts