सतगुरु की महिमा लग्गियाँ ने मौजां ! सदा लाई रक्खीं सोहनेयाँ !! चंगे हां या मंदे हां निभाई रक्खीं सोहनेयाँ !!
सतगुरु और परमात्मा एक ही है । गुरु परमेश्वर एको जान ।
नानक जी ने कितने साफ़ और सुन्दर लफ्जो में फ़रमाया की सतगुरु और परमात्मा एक ही है दोनों में कोई फर्क नही हैं। साथ में ये भी बताया की गुरु कौन सा ? दुनिया में बहुत सारे गुरुओं की भरमार हैं। बचपन में माँ बाप विद्यालय में शिक्षक और भी दुनिया में और भी
तो नानक जी फरमाते हैं। - गुरु सतगुरु भरम भुलाया, कहे नानक शबद में आया।
सतगुरु ने सच्चे सतगुरु और गुरुओ में जो भ्रम था वो अलग किया और कहा जिस गुरू में सच समाया हो वो ही पूरा है जिसके अन्दर खुद शबद रूपी परमात्मा बसा है, जो सिर्फ एक ही नाम ही महिमा ध्याता हो और जो ना सिर्फ समझाता हैं बल्कि आपको सच (परमात्मा) के वास्तविक रूप से रूबरू कराता हैं। वो सच्चा सतगुरू है ।
आगे फरमाते है - गुरूमुख नादन गुरूमुख वेदन गुरूमुख शबद समाये |
ऐसा सतगुरू जिसमें वो नाद वो सच्ची धुन समायी हो जिसे सुनकर मन त्रिप्त हो जाये और उस धुन में इनता खो जाऐ कि उसे अपनी कोई सुध ना रहें । वेदन से अभिप्राय है वेद अर्थात ज्ञानी । ऐसा सतगुरू जिसके पास नामधुन की सच्ची कमाई हो ऐसे गुरू में ये वेद पोथी पूरी सृष्टि का सारा ज्ञान समाया होता हैं। और जो खुद शबद हो। वही पूरा सतगुरु हैं।
पांचवी पातशाही श्री गुरु अर्जुन देव जी ने कहा हैं।
ऐसे गुरु को बल बल जाइए । मुबारक हैं उन सभी को जिन्हे ऐसे पुरे सतगुरु का साथ मिला हैं। क्युकी एक वही हैं जो हमें परमात्मा के सच्चे घर तक पंहुचा सकते हैं। वरना तो आत्मा सिर्फ इन्ही 84 के जेलखाने में ही फंसी रहनी हैं।
शुक्र हैं मेरे सतगुरु। संभाल करना हल पल हर सांस । एक तेरे सिवा कोई और नही। जिसमे मेरी हस्ती हो
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