एक साधु एक शिला (यानी पत्थर) पर बैठा तपस्या कर रहा था। उस साधू ने उस एक पत्थर पर 100 साल तपस्या की। एक दिन जब साधु तपस्या मे बैठा था तब आकाशवाणी हुई की हे साधु हम खुश हैं, मांगो क्या
उतने मे एक आवाज़ और आई की हे साधु मे वो पत्थर बोल रहा हूँ जिस पर बैठ कर तुमने तपस्या की और अब सुनो साधु जब आपने हिसाब किताब की बात की हैं और अपनी तपस्या का फल मांगा हैं तो आप ( पत्थर कहता हॆ) भी तो मेरे ऊपर 100 साल तक बैठे हो इसलिए अब मेरी बारी हैं। में भी आपके उपर 100 साल तक बैठुंगा। बाद मे आप अपनी तपस्या का हिसाब किताब मांगना।
भाव अर्थ ये हैं कि अगर हम अपनी करनी या अपनी तपस्या का उस परमात्मा से हिसाब किताब मागने की बात करेंगे तो एक जन्म तो क्या 1000 जन्म लगाकर भी भजन करेंगे तब भी हम उस मालिक को नही पा सकते। इसलिये हमे हर वक़्त उस मालिक से दया मेहर की बक्शीश मांगनी चाहिये। बक्श हे मेरे दाता बक्श अपने पास आये हर जीव को बक्श।*
हे सतगुरु, हम भूलणहार हॆ। तू बकशणहार हॆ। बक्श दे। बक्श दे । बक्श दे ।।
Very true we should left everything on the lord
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