परमात्मा अंग संग है रग-रग की जानता है . उन्हे धोखा मत दो गुरूमुखो की संगती करो ताकि यह मन काबू मे आ जाये काम,क्रोध,लोभ,मोह,अंहकार से ऊपर उठ सको. यह मन जो नित नई ख्वाईशे रखता है एक प्रभु को
पाने की ख्वाईश रखे,कहा भी गया है जैसी संगत वैसी रंगत फिर किस गफलत मे हो अगर बुरे लोगो का संग करोगे तो बुराई तुम्हारे मन रूपी घर मे घर कर जायेगी और तुम्हे नित नये कर्मो के जाल मे फसाये रखेगी फल स्वरूप नर्को के जाल मे धकेल देगी। और अगर अच्छे लोगो का संग करोगे तो अच्छाई तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमेगी बुराई वहा से खुद ही भाग जायेगी. इस लिये सतसंगी लोगो से मेलजोल रखो ताकी तुम्हारे अंदर भी गुरू के प्रति प्रेम व सेवा का भाव पैदा हो। सभी सन्त इस बात का होका देते है
"गुरू परमेश्वर ऐको जान"
कि गुरू और परमेश्वर एक-दूसरे के पूरक है परमेश्वर गुरू द्वारा ही अपने शब्द हम पर प्रकट करता है और अपने तक पहुचने का रास्ता बताता है अब जीव के हाथ मे कि कौन सा रस्ता चुनता है परमेश्वर तक पहुचने का या आवागमन मे गोते खाने का (विचार करे).
भजन सिमरन अपना प्रमुख अंग बनाये और आवागमन से हमेशा के लिये मुक्त हो जाये
Truly said...sangati hi decide karti hai sab kuch
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