Monday, 29 October 2018

038 - हमारे कर्मो का लेखा जोखा कैसे काम करता है ?



जो बोयेगा वही पायेगा , तेरा किया आगे आयेगा .
कुछ वर्ष पूर्व एक बुजुर्ग महिला का देहान्त हो गया ;आस-पड़ोस के-रिश्तेदार सब इकठ्ठा हो गये ! doctor ने  भी Verify कर दिया कि She is deadदाह संस्कार के लिये जब शव को ले जाने लगे तो आश्चर्य की बात वह
महिला उठ खड़ी हुई ; सब इधर उधर डर के मारे भाग निकले !

इन महिला ने सब को प्रेम पूर्वक समझाया कि वह मरी नही है कोई भूत-प्रेत नही है
जीवित है ! जब सबको तसल्ली हुई तो पास आये ; पूछा -पर आपको तो श्वास भी नही आ रही थी नाड़ी भी बंद हो गयी थी Doctors ने भी जवाब दे दिया था !

महिला ने मुस्करा कर कहा - Doctors ने ठीक ही जवाब दिया था मैं वास्तव थोड़ी देर के लिये मर गयी थी ! मुझे दो मोटे काले यमदूत आकाश मार्ग से ऊपर ले गये काफी समय के उपरांत एक महल आया ! वहा उन्होंने मुझे एक मोटे से व्यक्ति के समक्ष प्रस्तुत कर दिया ! वह व्यक्ति एक बहुत ही बड़ा बही खाता खोले बैठा था ;मुझे देख कर तो कुछ समय के लिये उसने उसमे पेज पलटने शुरू कर दिये !


फिर उन यमदूतों को डांटते हुए बोला -अरे मूर्खो ये किसे उठा लाये इसका समय तो अभी शेष है इसे वापिस धरती पर छोड़ आओ ! वह महिला बोली -बहुत थक गयी हूँ कुछ खिला तो दो !उस व्यक्ति ने फिर से बही खाता खोला और थोड़ी देर देखने के बाद बोला -इसे एक प्लेट बासी खिचड़ी खिला दो !उस महिला को बासी खिचड़ी खिला दी गयी !

फिर यमदूत उस महिला को वापिस आकाश मार्ग से धरती पर ले आये और उसकी देह में छोड़ गये ! अब ये महिला सबको समझाती है कि मुझे खाने को खिचड़ी ही क्यों मिली काफी सोचने के बाद याद आया कि मैंने जिंदगी में कभी दान इत्यादि कोई पुण्य नही किया ! एक दफा रात को खाने में खिचड़ी बनाई जोकि थोड़ी बच गयी ;सोचा सुबह खाने में काम आ जायेगी सो रख दी ! पर सुबह उस बासी खिचड़ी में से हल्की सी दुर्गन्ध आने लगी उसे फेंकने की सोच ही रही थी कि इतने में एक भिखारी आ गया सो मैंने वह खिचड़ी उसे खाने को दे दी !मुझे क्या पता था कि वही खिचड़ी मुझे ऊपर खाने को मिलेगी !

वहाँ उपस्थित सभी को उपदेश देते हुए ये महिला कहती है कि हमारे हर एक कर्म का लेखा जोखा तुरंत ऊपर लिख दिया जाता है सो हमें सोच समझ कर ही कर्म करने चाहिये ! सत्कर्मो से पीछे नही हटना चाहिये क्योंकि यही हमारे साथ जाते है !


आश्चर्य यह कि जिस समय यह महिला देह में पुनः प्रविष्ट हुई ठीक उसी समय इन्ही के पड़ोस में रहने वाली उसी नाम की महिला का देहांत हो गया !  इसे परमात्मा के विधान में चूक कही जाये कि गलती से किसी की जगह किसी और को थोड़ी देर के लिये मृत कर दिया गया या इसे यूँ कहा जाये कि मानो परमात्मा इस घटना के माध्यम से इन महिला के मुख से यह कहलवाना चाहता था कि देखो कर्मो की गति बड़ी न्यारी होती है जैसे कर्म करोगे कालांतर में वैसे ही कर्मफल दुःख वा सुख भोगने को मिलेंगे !

जैसा बीज बोया जाता है वैसा ही फल आया करता है ये सृष्टि का सुनिश्चित विधान है ! 
संत  सत्संग  में फ़रमाया करते हैं  :

जैसी करनी वैसा फल ; आज नही तो निश्चिय कल !

सत्कर्मो की-नाम की पूंजी इक्ट्ठा कीजियेगा क्योकि यही कालांतर में हमारे काम आया करती है .



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