एक समय की
बात है शेख सादी कही जा रहे थे . सब जानते है के फकीरों के पास रूहानी धन के
इलावा और कुछ नही होता है. दोपहर का समय था धुप बहुत तेज थी. शेख सादी
धुप मे नंगे पाँव
चल रहे थे . चलते चलते जब पैरों की चमड़ी जलने लगी तो शेख सादी खुदा को उलाहना देते हुए कहते है के ए खुदा इतनी धूप है रहम करके एक जूता तो दिलाओ.
चल रहे थे . चलते चलते जब पैरों की चमड़ी जलने लगी तो शेख सादी खुदा को उलाहना देते हुए कहते है के ए खुदा इतनी धूप है रहम करके एक जूता तो दिलाओ.
जब शेख सादी थोड़ी दूर गया तो क्या देखता है
सामने से एक अपाहिज आ रहा है जिसकी दोनो टाँगे नही है. इतनी धूप मे वो अपाहिज
लकड़ियों (बैसाखियों) के सहारे चल रहा है.
शेख सादी ने जब यह वाक्या देखा तो शेख सादी का
सिर शर्म से नीचे हो गया. खुदा से कहता है ए खुदा ए करीम ए गरीब नवाज मै अपने लफ्ज
वापिस लेता हूँ । मुझसे बड़ी गलती हुइ है.
मुझे जूते नही चाहिए आप ने मुझे इतनी सुन्दर दो टाँगे दी है इतने सुन्दर पैर
दिए है इसके लिए आपका शुक्र है शुक्र है शुक्र है.
माफ कीजिएगा हम सब की हालत भी एसी ही है - हम कभी
नही कहते है के मेरे पास यह है हम हमेशा यही कहते है के
- यह मेरे पास नही है
- घर मे
सोफा सेट नही है
- घर मे
टीवी नही है
- पत्नी को गहने पुरे नही है
- बच्चो के
पास कपड़े पुरे नही है शादी मे जाने के लायक नही है
यह जो हम कहते है के नही है यह मन की न मिटने वाली भूख है यह भूख कभी मिटने
वाली नही है.
यह जीव चाहे समुंद्र पी जाऐ पर्वतो को खा जाऐ
इसका पेट कभी नही भरेगा जब तक यह नाम की
रोटी नही खाता. जब यह खाऐगा तो धीरे धीरे इसकी भूख कम होती जाऐगी और फिर एक दिन
ऐसा आऐगा इसको हमेशा के लिए संतोष आ जाऐगा और फिर जब हालत बदल जाएगी तो यह कहेगा
हे सत्तगुरू मेरे पास तेरा दिया सब कुछ है
तेरा
शुक्र है
तेरा
शुक्र है
100% sahi
ReplyDeleteBaba hi tera sukar hai
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