Friday, 28 December 2018

045 - राबा बसरी ने 7 मुल्कों की बादशाही क्यों ठुकराई ?

बीबी राबा बसरी इरान की एक मशहूर संत हुई है. एक दफा वह अपनी कुटिया में 6 दिन भजन में बैठी थी
बगल वाला पड़ोसी उस पर तरस खाकर उसे एक मीठा ठंडा शरबत का गिलास उसके पास रख गया बेचारी उठेगी और शरबत पिएगी शाम का वक्त था।

अंधेरा हो गया था बेचारी उठी माचिस ढूंढने लगी दीया जलाने के लिए तो पास में बिल्ली बैठी हुई थी और वह उछल कर दौड़ पड़ी और उसकी ठोकर लगने से कांच का गिलास टूट गया टुकड़े टुकड़े हो गया और दीया भी बिखर गया अब जब उसने माचिस से रोशनी की ।


 देखा कि कोई मेरे पास शरबत का गिलास  रख गया था पीने के लिए । तो रब से शिकवा करने लगी कहती है ऐ मेरे रब्बा 6 दिन से मैं तेरी बंदगी में बैठी थी। किसी ने मेरे पर दया की और मीठा शरबत मुझे पीने के लिए दिया वह भी मेरे नसीब में नहीं था टूट गया । तो अंदर से आवाज आई  ऐ राबा तू चाहे तो मैं तुझे 7 मुल्कों की विलायती दे दूं यानी 7 मुल्कों का बादशाह बना दूं पर तेरे को जो मैंने अपनी तड़प दी है , विरह दी है वह तेरे से ले लूंगा ।

बता क्या चाहती है 7 मुल्कों की बादशाही या मेरी तड़फ ? बेचारी चुपचाप फिरसे भजन में जाकर बैठ गई तो ये तड़फ हमको भी चाहिए तभी हमारा काम बनेगा।

जब तक हम सतगुरु की तड़फ नहीं रखेंगे भजन में हमारी तरक्की नहीं हो सकती क्योंकि हम अगर किसी के लिए तड़पते हैं तो वह भी हमारी तरफ देखता है।  जब तक हमारा ख्याल दुनिया की तरफ है तब तक वह भी हमसे अनजान बना बैठा है  । 


हजूर महाराज अपने सत्संग में अक्सर फरमाया करते थे जब एक छोटा बच्चा पालने में खेल रहा है मां बेफिक्र है सारा काम करती रहती है लेकिन ध्यान उसका उस तरफ ही होता है । जब वो भूख से व्याकुल हो जाता रोता है तो किसी मां से बर्दाश्त नहीं होता और वह दौड़ कर उसे अपनी छाती से लगा लेती है। हे मेरे सतगुरु हमें भी अपनी वह तड़प सब को दें ताकि सारी दुनिया से हमारा ध्यान हट कर तेरे भजन सिमरन में हम लग सके।

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