1. जो परमात्मा से जुड़े होते है, उन्हें ना तो ज़मीन जायदाद का और ना रिश्तों के छूटने का डर होता है I उन्हें तो वस एक परमात्मा सेे जुड़े रहने का नशा होता है .
2. उस दिन हमारी सारी परेशानियां खत्म हो जाएंगी जिस दिन हमें यह यक़ीन हो जाएगा की हर एक काम "सतगुरु" की मर्ज़ी से होता है.
3. सतगुरु बड़े मेहरबान होते हैं , वे खतरनाक मुसीबतों के समय हमारी सच्ची सहायता करते हैं , और बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेते । सन्सार के लोग तो दुःखों और कठिनाइयों में ही हमारा साथ छोड़ देते हैं , पर सतगुरु हमारे सच्चे रक्षक और साथी होते हैं , जो मृत्यु के बाद भी हमारे साथ रहते हैं , सन्त सतगुरु सच मुच् परमात्मा के भंडार के भंडारी होते हैं.
4. हमारी आत्मा तो अपने आप में निर्मल और पवित्र है इसलिए एक आत्मा का दूसरी आत्मा से कोई वैर नहीं होता केवल हमारा मन ही हमें एक दूसरे का वैरी बनाता है इसलिए हमारा मन ही हमारे सभी दुखों और सुखों का कारण होता है सो मन पर विजय प्राप्त करने के लिए.
5. जहाँ हो, वहीं पर भजन - दो बहने चक्की पर गेहूँ पीस रही थी पीसते पीसते एक बहन गेहूँ के दाने खा भी रही थी। दूसरी बहन उसको बीच बीच में समझा रही थी कि, "देख अभी मत खा, घर जाकर आराम से बैठ कर चोपड़ कर चूरी बनाकर खायेंगे।" लेकिन फिर भी दूसरी बहन खा भी रही थी पीस भी रही थी। कुछ देर बाद गेहूँ पीस कर कनस्तर में डाल कर दोनों घर की तरफ चल पड़ीं। अचानक रास्ते में कीचड़ में गिरने से सारा आटा खराब हो गया। कबीर दास जी सब देख रहे थे तो उन्होंने लिखा :
आटो पडयो कीच में, कछु न आयो हाथ।
पीसत पीसत चाबयो, सो ही निभयो साथ॥
अर्थात समस्याओं से भरे जीवन में रहते हुए भगवान् से अपनी प्रीत लगाये रखनी है। न की अच्छा समय आने का इंतजार करना है। भगवान् से की गई यही प्रीत और परतीत अंत समय तक साथ निभायेगी। इसलिये उठते बैठते सोते जागते दुनियाँ के काम करते हुए हरि से लगन लगाये रखो।
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