उसमें न हो, सिर्फ समय हो, तो उस क्षण में मरा हुआ व्यक्ति संसार में लौटकर नहीं आता।
महावीर ने ध्यान के लिए जो नाम दिया है, वह है सामायिक। यह शब्द बहुत अदभुत है। यह समय से बना हुआ शब्द है। महावीर ने कहा है कि ध्यान मैं उसी को कहता हूं, जब तुम्हारे भीतर का समय बिलकुल शुद्ध हो। इसलिए उन्होंने ध्यान का उपयोग ही नहीं किया। ध्यान की जगह उन्होंने सामायिक शब्द का उपयोग किया है।
शुद्ध समय में ठहर जाना ध्यान है।
हमारा समय, भीतर जो हमारा समय है, वह सदा ही वासना से भरा है। थोड़ा भीतर का स्मरण करें, तो खयाल में आ जाएगा। आपने अपने भीतर वर्तमान के क्षण को कभी भी नहीं जाना होगा। भीतर या तो आप अतीत को जानते हैं, बीत गए को, जिसकी स्मृति आपका पीछा करती है छाया की भांति। जो हो चुका, उसकी जुगाली करते रहते हैं, जैसे जानवर जुगाली करते हैं। भैंस रख लेती है भोजन बहुत-सा अपने पेट में और फिर उसे निकालकर चबाती रहती है। जो बीत गया, उसकी जुगाली चलती है मन के भीतर। सोचते रहते हैं बार-बार उसको, जो हो चुका।
जो हो चुका, उसे सोचना नासमझी है। उससे अपने वर्तमान क्षण को व्यर्थ ही आप नष्ट किए दे रहे हैं। जो जा चुका वह जा चुका, अब वह कहीं भी नहीं है, लेकिन आपकी स्मृति में है। और आपकी स्मृति जुगाली करती है और वर्तमान में जो क्षण है अभी, समय जो है भीतर, उसे भर देती है। वह जो प्रेजेंट मोमेंट है, अभी इसी समय जो मौजूद क्षण है, उसे अतीत ढांक लेता है। और जब कोई वर्तमान का क्षण अतीत से ढंक जाता है, तो नष्ट हो जाता है। आप उससे अपरिचित ही गुजर जाते हैं।
या तो यह होता है और या फिर यह होता है कि वर्तमान का क्षण भविष्य की वासना से आच्छादित होता है। सोचते हैं उसके संबंध में, जो अभी नहीं है, होगा। आने वाला कल, भविष्य। क्या करना है, क्या नहीं करना है। क्या पाना है, क्या नहीं पाना है। कौन-सी दौड़ लेनी है, कौन-सी मंजिल बनानी है।
या तो अतीत डुबा देता है क्षण को, वर्तमान को, या भविष्य डुबा देता है। दोनों हालत में भीतर का समय खो जाता है। दोनों हालत में वह काल-क्षण खो जाता है, जो कि वस्तुतः था और वे चीजें आच्छादित हो जाती हैं। दोनों नहीं हैं; बीता हुआ कल भी नहीं है, आने वाला कल भी नहीं है। जो नहीं है, वह उसे घेर लेता है, जो है। यही मरे हुए जिंदा आदमी का लक्षण है।
इसीलिए हम जीते हैं बुझे-बुझे, मरे-मरे। क्योंकि जो नहीं है, वह हमारे ऊपर भारी है; और जो है, उसका कहीं पता भी नहीं चलता।
क्या कभी आपने मन में ऐसा टाइम-मोमेंट, ऐसा काल-क्षण जाना है, जब अतीत भी न हो, भविष्य भी न हो, और आप अभी हों, यहीं, अभी और यहीं, जस्ट हियर एंड नाउ। उस क्षण में यदि मृत्यु हो जाए, तो लौटकर आना नहीं होता।
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