परम संत सावन सिंह कहते हैं कि इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति को अपने पिछले जन्मों के इकट्ठे किए हुए कर्मों का भारी बोझ भुगतना पड़ता है और जो कोई भी बिना हुक्म से नामदान देने की जिम्मेदारी लेता है उसे अपने
द्वारा नाम दिए गए व्यक्ति के कर्मों का कुछ अंश उठाना पड़ेगा |
द्वारा नाम दिए गए व्यक्ति के कर्मों का कुछ अंश उठाना पड़ेगा |
जब तक कोई तीसरे पद, पारब्रह्म लोक यानी दसवां द्वार खोलकर अंदर प्रविष्ट न हुआ हो अर्थात न पहूंचा हो और तीनों शरीरों (स्थूल, सूक्ष्म तथा कारण) से अलग न हुआ हो तब तक दूसरों के कर्मों का बोझ उठाने के काबिल नहीं है | वह तो खुद के कर्मों का बोझ भी नहीं सम्भाल सकता | जिसकी सफाई दूसरे पद को (त्रिकुटी लोक) को पार करके तीसरे पद में जाने से पूर्व करनी होती है | बिना इजाजत नाम देने वाला व्यक्ति केवल अपनी उन्नति में ही बाधक नहीं होता बल्कि वह अपने कर्मों का बोझ भी और अधिक बढा़ लेता है |
संत कोई सैनिक दल तैयार नहीं करना चाहते और न ही चंदा इकट्ठा करना चाहते हैं | वे केवल मालिक के सच्चे जिज्ञासुओं की भलाई करना चाहते हैं | उनका मक़सद (उद्देश्य) शुद्ध तथा स्वार्थ रहित है | वे किसी प्रकार की भेट तथा फीस उनसे लेने की आशा नहीं करते | दूसरे लोगों से अपना विचार मनवाने के लिए अपनी मानसिक और रूहानी शक्ति को बर्बाद नहीं करना चाहिए | सतगुरु हरेक के साथ है और यह काम उसका है कि वह जीवों को अपनी ओर खींचे | आप अपने मन को काम वासना से अलग रखें और परिश्रम के साथ अपना भजन करते रहें |
सूक्ष्म मंडल में अनेकों काल शक्तियां रहती हैं जो जैसा चाहें वैसा रूप धारण कर सकती हैं और उनका मक़सद ही जीव को धोखा देने का होता है |
गुरु अगर चौला छोड़ गया हो तो भी वह अपने शिष्यों के लिए जीवित है | इसमें कोई शक नहीं कि शिष्य उनके स्थूल शरीर के दर्शन से वंचित हो जाते हैं | लेकिन यह कमी उनका जा:नशीन (उत्तराधिकारी) पूरी करेगा | सूक्ष्म रूप में गुरु शिष्य के अंग संग रहता है और यदि शिष्य तीसरे तिल में पहूंच सके तो वह अपने गुरु के सूक्ष्म रूप के सम्पर्क में आ जाता है और ऊपर के मंडलों में उनसे रहनुमाई पाता है |
अगर वह तीसरे तिल में प्रवेश नहीं कर सका है और उसका ध्यान नीचे के मंडलों में ही घिरा हुआ है तब तो उसे उसके जा:नशीन (उत्तराधिकारी) से उत्साह और रहनुमाई पाते हुए तीसरे तिल में पहूंचने की कोशीश करनी चाहिए | वह गुरु जो चौला छोड़ चुका है अपने शिष्यों के लिए जीवित है | लेकिन वह नए शिष्य नहीं बना सकता और नाम हाजिर बाडी ही दे सकता है |
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