संत हमे कहते है - परमात्मा एक है हमें सिर्फ उस एक की भक्ति करनी है . हमें अपना बर्तन साफ करना है. सतगुरु की खुशी हमें सिर्फ भजन और सिमरन से प्राप्त हो सकती है . असली काम भजन सिमरन है और
जो कुछ भी मिलेगा, वह भजन सिमरन के ज़रिए ही मिलेगा और अगर भजन सिमरन नहीं करोगे, तो कोई फायदा नहीं. याद रखना, गुरू देने में कसर नहीं छोड़ेगा लेकिन हम बर्तन को तो साफ करें . बर्तन साफ नहीं है तो डालने वाला कैसे डालेगा ?
बर्तन साफ़ करने की ज़िम्मेदारी हमारी है . बर्तन भरने की ज़िम्मेदारी उसकी है. सतगुरु अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करेगा, लेकिन पहले हमें अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करनी होगी और साफ़ भी वही करेगा. लेकिन हम उसका हुकुम तो मानें, यानी बैठें तो सही, उसकी रज़ा में रहने की कोशिश तो करें .
यह दुनियावी ज़िम्मेदारियाँ भी हम क्या समझते हैं कि हम निभा रहे हैं. भजन सिमरन के बिना और गुरू की रहमत के बिना यह भी आप नहीं निभा सकते. अंतिम वक़्त सिर्फ़ भजन सिमरन ही सहाय होगा इसलिए जो कुछ आपको दिया गया है उसकी कद्र करना सीखो ।
लेकिन भजन आपको खुद करना पड़ेगा. जैसे मेरे खाना खाने से आपकी भूख नहीं मिट सकती. इसी तरह से भजन सिमरन आपके लिए कोई और नहीं कर सकता. भजन सिमरन हर एक को करना होगा - वेदों और ग्रन्थ पोथियों का निचोड़
सिमृति बेद पुराण पुकारनि पोथीआ ॥
नाम बिना सभि कूड़ु गाली् होछीआ ॥
नामु निधानु अपारु भगता मनि वसै ॥
जनम मरण मोहु दुखु साधू संगि नसै ॥
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