एक बार अकाल पड़ गया। बरसात का नामों निशान नहीं था। हाहाकार मच गया। बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी पानी के बिना तड़पने लगे। सभी लोगों ने निश्चय किया कि वह सभी एक साथ मिलकर खुले मैदान में अल्लाह
को फरियाद करेंगे।
को फरियाद करेंगे।
सभी लोग खुले मैदान में इकट्ठे हुए और एक साथ फरियाद की " ऐ अल्लाह" हम बंदो से ऐसा कौन सा गुनाह हो गया जो तू अपने बंदो को प्यासा मार रहा है। हम तो हर रोज़ तेरी इबादत भी करते हैं, हम लाचार बंदो पे रहम करो, मेरे मौला !
तभी आसमान से एक आवाज आई कि तुम्हारे में से अल्लाह का एक बंदा ऐसा भी है, जिसने पिछले 40 बरस से, सिर्फ अपना पेट भरा है और बहुत पाप भी किये हैं लेकिन एक बार भी उसने खुदा का शुक्र नहीं किया और ना ही उसने कभी बन्दगी की है । पहले उसे अपने गाँव से बाहर निकाल दो,तुम्हारी फरियाद कबूल होगी और बरसात हो जायेगी सभी एक दूसरे को ताकने लगे कि वो कौन सा जालिम बंदा है, जिसने पिछले 40 बरस से ख़ुदा की बंदगी नहीं की है। तभी गाँव के मुखिया ने ऐलान किया कि वो जालिम इन्सान चुपचाप खड़ा हो गाँव को छोड़कर चला जाये। ताकि बाकी सभी पर खुदा की दया मेहर हो और बरसात हो जाये.
मगर कोई भी खड़ा नहीं हुआ। सभी लोग किसी एक के खड़े होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन वह बंदा तो अपने गुनाहों से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ था कि खुदा की आवाज उसी के लिए आई है, मगर शर्म के मारे वो बैठा ही रहा उसने एक कपड़े से अपना मुँह ढक लिया और खुदा से फरियाद की कि "ऐ मेरे शहनशाह" तू मेरे हर एक गुनाह से वाकिफ है, और मैं ही वो जालिम हूँ जिसने पिछले 40 वर्षों से कभी तेरी इबादत नहीं की और सारी खुशियाँ मिलने के बाद भी कभी तेरा शुक्राना नहीं किया। लेकिन आज अगर मैं यहाँ से चला गया तो इन सभी की नजरों में गिर जाऊँगा और इस बेइज्जती से मैं मर जाऊँगा, एक बार मेरे सारे गुनाह बख्श दो, मैं हर रोज़ अपने मालिक का शुक्राना करूँगा और सच्चे दिल से तेरी इबादत करूँगा, सिर्फ एक बार अपने ग़ुलाम की लाज रख ले।
तभी अचानक आसमान में बहुत तेज बिजली गरजी और मूसलाधार तेज़ बारिश शुरू हो गयी। सारे गाँव वाले बड़े हैरान हो गये कि यहाँ से तो कोई हिला तक नहीं और इतनी तेज बारिश शुरू हो गई। सभी ने फिर एक साथ आवाज लगाई कि "ऐ ख़ुदा" यहाँ से तो कोई भी नहीं हिला और आपने इतनी तेज बारिश शुरू कर दी उस बंदे का नाम तो बता दो कि तेरा वो गुनहगार बंदा कौन है? लेकिन इस बार बहुत प्यार भरी आवाज आई कि जब मेरे बंदे ने 40 वर्षों तक मेरी इबादत नहीं की तब भी मैंने उसका नाम नहीं लिया और अब तो उसने अपने सारे गुनाह कबूल कर लिये हैं और सच्चे दिल से उसने मुझसे माफी माँगी है, और आज वो बख्श दिया गया है तो अब मैं कैसे अपने उस प्यारे बेटे का नाम ले लूँ?
हम थोड़ा सा विचार करें कि यदि इस संसार के रिश्तेदारों, सगे-संबंधियों के सामने हमसे कोई गलती या गुनाह हो जाता है तो वो सभी हमसे बात करना बंद कर देते हैं और रिश्ते ही टूट जाते हैं। इस सँसार के सारे रिश्ते ग़रज के रिश्ते हैं जैसे ही उनका काम निकल जाये फिर तो वो हमें पहचानने से भी इंकार कर देते हैं। लेकिन हम मूर्ख इसी सँसार को ही अपना असली घर समझे बैठे हैं।
हम पूरे दिन में ना जाने कितने गुनाह करते हैं जो कि मालिक से हमारे मिलाप में बहुत भारी रूकावट पैदा करते हैं मगर फिर भी हमारे प्यारे सतगुरू ने कभी भी हमारे गुनाहों और ऐबों को बेपर्दा नहीं किया।
इसीलिए हमें भी यही चाहिए कि हम भी अपने सारे गुनाह कबूल करके, भजन सिमरन के ज़रिये अपने गुनाहों की माफी की फरियाद करें ताकि हमें भी माफी मिल जाये, बहुत देर हो चुकी है, और देर मत करो, वर्ना सचमुच देर हो जायेगी जी.
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