Sunday, 17 May 2020

097 - हमे संतो से क्यों नहीं मांगना चाहिए ?

रामायण में बहुत अच्छी शिक्षा मिली . एक ऋषि राम जी को कोई वरदान मांगने के लिए बोलते है, पर राम जी उनसे क्षमा मांगते हुए बोलते हैं, ऋषिवर इंसान को अपनी ही कमाई हुई दौलत का इस्तेमाल करना चाहिएफिर चाहे वह दौलत सांसारिक हो या आध्यात्मिक।

इंसान जब अपने गुरु के अलावा किसी और के आगे अपनी झोली फैलाता है, तो उसको  आगे चल कर अपनी कमाई हुई अध्यात्मिक दौलत से ली हुई दात का दोगुना वापिस भी करना पड़ता है। संसार में सिर्फ एक गुरु ही ऐसे हैं ,जिनका कुछ दिया हुआ कभी वापिस करने कि नौबत नहीं आती, वो है  हमारे जीवन के अध्यात्मिक गुरु।

बाकी किसी का भी लिया उपकार सुद समेत वापिस करना ही पड़ता है। चाहे इस जन्म में या फिर दोबारा किसी और जन्म में। इस लिए एक सज्जन पुरुष को कभी किसी और गुरु या सिद्ध पुरुष से कुछ नहीं मांगना नहीं चाहिए, चाहे पुत्र ,धन दौलत,या फिर अध्यात्मिक दौलत। इस संसार में मुफ्त कुछ नहीं ।

फिर राम जी बोलते हैं ऋषिवर इस लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। सच में संत मत  में भी हम सबको यही बार बार दोहराया जाता है। कि कभी कुछ मांगना नहीं, जिससे मांग रहे हैं, वह जानता भी है कि कब किसको कितना चाहिए.

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