बाबा सावन सिंह जी कहते थे यह कोई जरूरी नहीं की सचखंड जाने की लिए चार जन्म लेने पड़ते है । हमने सत्संग में सगंत को समजाने के लिए कहा था। महाराज जी ने कहा कि चार बार जनम
का सिद्धांत लोगों द्वारा गलत समझा गया है।महाराज जी ने फिर फ़रमाया की चार जनम का सिद्धांत इस प्रकार
काम करता है –
सिद्धांत -1
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यदि कोई व्यक्ति का नाम पूर्ण संत से लिया हुआ है। पूरी ईमानदारी से ध्यान और सेवा करता है तो यह उसका अंतिम जीवन होगा।
सिद्धांत -2
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यदि कोई व्यक्ति का नाम पूर्ण संत से लिया हुआ है परन्तु वह पूरी ईमानदारी से ध्यान और सेवा नहीं करता है। लेकिन वह आध्यात्मिक जीवन के सिद्धांत को मानता है तो उसको दो बार जनम लेना पड़ेगा।
सिद्धांत -3
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यदि कोई व्यक्ति का नाम पूर्ण संत से लिया हुआ है परन्तु कुछ समय बाद वह अपनी सोच बदल देता है की आध्यात्मिक जीवन उसके लिए नहीं बना है। सिमरन और सेवा बंद करके बुरे कामो में लग जाता है तो उसे तीसरा जनम भी लेना पड़ता है।
सिद्धांत -4
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यदि कोई व्यक्ति का नाम पूर्ण
संत से लिया हुआ है। परन्तु वह गुरु और आध्यात्मिक पथ के खिलाफ काम करता है तो उसे सचखंड पहुंचने की लिए 4 जन्मों की आवश्यकता होती पड़ती है।
महाराज जी आगे फरमाते है की जो भी इंसान नाम दान लेकर थोड़ा
बहुत भी भजन सिमरन कर लेते है तो उनको दुबारा चोरसी के चक्कर में नहीं जाना पड़ता। वो
रूहे दूसरे मंडलों में सिमरन करके सचखंड पहुंच जाते है।
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