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महात्मा बुध किसी गांव में 30 साल से सत्संग कर रहे थे, एक आदमी ने महात्मा बुध से सवाल किया कि आप इतने सालो में कितने आदमियों को सचखंड पहुंचा दिया है और सत्य का मिलन करवा दिया है .
महात्मा बुद्ध ने जवाब दिया कि मैं इसका उत्तर कल दूंगा तुम
एक काम कर - एक कागज और पेन ले आ और घर घर जाकर पूछ कि कौन-कौन मोक्ष प्राप्त करना
चाहता है, फिर मेरे पास वह लिस्ट ले आना .
वह आदमी कागज और पेन लेकर घर घर गया और जवानों से पूछा कि
तुम सच खंड जाना चाहते हो - जवानों ने जवाब दिया कि
अभी अभी तो जवान हुए हैं ,
जिंदगी में देखा
ही क्या है ,
हमें मोक्ष नहीं
चाहिए .
फिर उसने बूढ़ों से पूछा कि क्या आप मोक्ष पाना चाहते हो
- बूढ़ों ने जवाब दिया कि
क्या तुम हमें मारना चाहते हो,
तुझे कोई और काम नहीं चल ,
भाग यहां से .
इस तरह वह सारे गांव में घूम फिर आया - उसे सचखंड जाने वाला
एक आदमी भी नहीं मिला . वह खुद ही सोचने लगा कि महात्मा बुध के पास जाने से तेरा नंबर
भी आ जाए, वह लिस्ट लेकर घर आया और सो गया.
महात्मा बुध कहने लगे कि जो आदमी सचखंड जाने वालों की लिस्ट
बनाने गया था वह वापस नहीं आया है, चलो उसका पता करें, उसके घर चले .
महात्मा बुध को घर आता देखकर उसकी घरवाली उससे कहने लगी कि
महात्मा बुध घर आ रहे हैं. वह खाली लिस्ट देखकर दीवार फांद गया , महात्मा बुद्ध ने
उसकी घरवाली से पूछा कि वह कहां है - तो वह कहने लगी जी आपको देखकर दीवार फांद गया
है .
जन्म मरणं के बंधनों से अगर आजाद होना है तो गुरु के बताऐ हुये मार्ग पर चलकर सिमरन भजन करके ही मुक्ति मिलेगी.
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