एक बादशाह का वजीर बहुत बुद्धिमान और परमार्थी विचारों वाला था। एक दिन बादशाह ने वजीर से पूंछा कि, परमात्मा के साथ मिलाप कैसे हो सकता है ? वज़ीर ने कहा कि, परमात्मा स्वयं कामिल
मुर्शिद का रूप धारण करके जीव को अपने साथ मिलाने के लिए इस संसार में आता है।
बादशाह वजीर के उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ और शंका प्रकट की कि, अल्लाह के पास फरिश्तों की फौज है और अन्य कई साधन है. फ़िर उसे स्वयं इन्सान के रूप में यहाँ आने की क्या आवश्यकता है?
वज़ीर ने इस प्रश्न के उत्तर के लिए थोड़े समय की मांग की। बादशाह ने कहा ठीक है. वज़ीर ने बादशाह के छोटे बेटे की शक्ल का रबड़ का एक बच्चा बनवाया और बच्चे की आया को समझा कर बाहर भेज दिया, जब आया बादशाह के पास से गुज़री तो बादशाह तालाब के किनारे शैर कर रहा था, थोड़ी देर के बाद बादशाह को एक बच्चे के तालाब में गिरने की आवाज़ सुनाई दी, बादशाह को लगा कि मेरा बेटा तालाब में गिर गया है, उसने एक दम तालाब में छलांग लगा दी और बच्चे को बाहर निकाल लिया।
वज़ीर ने मुस्कुराते हुए बादशाह से सवाल किया. जहाँपनाह, आपके पास इतने अहलकार और नौकर मौजूद थे, फ़िर आपने ख़ुद तालाब में छलाँग लगाने की तकलीफ़ क्यों की ?
बादशाह कहने लगा, मैं अपने बेटे को डूबता देखकर अपने आपको कैसे रोक सकता था ? वज़ीर ने कहा: बादशाह सलामत! जैसे आपको बच्चे की जुदाई सहन नहीं थी ठीक उसी प्रकार जब परमात्मा रूहों को अपनी जुदाई में तड़पते देखता है तो उससे भी रूहों का दर्द सहन नहीं होता और वह इंसानी चोला धारण करके उन्हें निज-घर वापस ले जाने के लिए मृत्युलोक में आ जाता है .
No comments:
Post a Comment