Friday, 10 September 2021

148 - शब्द-धुन को सुनना क्या होता है ?

 


भजन का मतलब है शब्द-धुन को सुनना, इसे संत-महात्माओं ने शब्द-योग का अभ्यास भी कहा है। यह काम आत्मा करती है या फिर इसे सुरत द्वारा किया जाता है। दिव्य शब्द-धुन को सुरत अथवा आत्मा द्वारा ही सुना जा सकता है, इस अभ्यास से युगों-युगों से सोई आत्मा जाग उठती है और उसे परम् आंनद की प्राप्ति होती है।

           
भजन का मतलब है अंदर गूँज रही शब्द की ध्वनि को सुनना। भजन करते समय अगर अंदर कुछ भी सुनाई नही देता तो भी अंदर की इस ख़ामोशी पर ध्यान टिकाए रखना है और साथ ही मन में शब्द-धुन को सुनने की ललक बनी रहनी चाहिए। अभ्यास द्वारा धीरे-धीरे सुरत यानी आत्मा की सुनने की शक्त्ति जाग्रत हो जाएगी और हम शब्द-धुन सुन पाएँगे। 

भजन में बैठे कुछ सुनाई दे या नही, पर बैठना जरूर है। शब्द-धुन सदा मौजूद है पर मन को शब्द-धुन सुनने का अभ्यास करना पड़ता है। हमें भजन के लिए बैठने की आदत डालनी है। यही तरीका है जिससे हम शब्द की सूक्ष्म ध्वनि को सुन सकेंगे और इससे प्रेम करने लगेंगे।

चाहे एक मिनिट, चाहे दो, पाँच, दस मिनिट ही सुरत लगें, चाहे थोड़ी सी धुन सुनाई दे तो भी सचखंड में आपकी कमाई की खबर पहुँचेगी कि प्रार्थना कर रहे हैं।

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