एक साधु था। एक आदमी उसके पास आया और उसने कहा, और वह आदमी जो था, भारत में बड़ा प्रसिद्ध आदमी था, बहुत बड़ा सेनापति था। उसके दोनों तरफ तलवारें लटकी हुई थीं।
वह एक साधु के पास आया और उसने उस साधु को कहा कि क्या आप मुझे बता सकते हैं कि स्वर्ग जाने का मार्ग क्या है? उस साधु ने कहा स्वर्ग? अपनी शक्ल तो देखो पहले। स्वर्ग जाने के लिए आ गए। वह था प्रसिद्ध सेनापति, सारे मुल्क में उसकी इज्जत और आदर थी। उसकी आवाज से लोग कंप जाते थे। और वह जब बूढ़ा भी हो गया था, नब्बे वर्ष भी पार कर गया था, तब भी जब युद्ध का सवाल उठता था तो उसे बुलाया जाता था। इतना उसका आदर था। इतना बूढ़ा हो गया था कि घोड़े पर नहीं बैठ सकता था और दो आदमी उसे उठा कर घोड़े पर बैठाते थे।जब उसे एक दफा घोड़े पर बिठाया जा रहा था, दो आदमी उसे उठा कर बैठा रहे थे तो एक नया-नया सैनिक आया था, वह हंसने लगा कि यह आदमी क्या सेनापति का काम करेगा, जिसको बिठाने के लिए दो आदमी घोड़े पर सहारा करते हैं। तो उस बूढ़े ने उसे बुलाया, इधर आओ।
क्यों हंसे? उसने कहाः मैं इसलिए हंसा कि यह बूढ़ा क्या सेनापति का काम करेगा, जब इसे दो आदमी घोड़े पर बिठाते हैं। उसने कहाः माना कि मुझे बिठाने के लिए दो आदमियों की जरूरत है, लेकिन घोड़े से दो हजार आदमी भी नीचे नहीं उतार सकते। ऐसा वह सेनापति था।
तो वह उस फकीर के पास गया, उस फकीर ने कहा अपनी शक्ल देखो। स्वर्ग जाने की बातें करने आ गए हैं। उसको गुस्सा आ गया, उसका हाथ मूठ पर चला गया। उसने कहा कि क्या खिलवाड़ कर रहा है कि मूठ, तलवार, तलवार क्या बिगाड़ेगी मेरा? उसकी तलवार बाहर आ गई। गुस्से में आ गया और उस साधु ने कहा कि क्या बचकानी बात कर रहा है, यह तलवार क्या करेगी, धार भी है? उसकी तलवार उसकी गर्दन पर चली गई।
उस फकीर ने कहाः देख नरक जाने का रास्ता आ गया जो उसने यह कहा कि देख नरक जाने का रास्ता आ गया। उसे एकदम से होश आया, तलवार उसने वापस ली, म्याल में डाली, उसने कहा यही स्वर्ग जाने का रास्ता है। समझे ना आप।
वह आदमी बोध खो दिया, क्रोध से भर गया, तलवार बाहर निकल आई, यह बिल्कुल मैकेनिकल एक्ट था। वह तो रोज का धंधा था, तलवार बाहर निकालने का, तलवार गर्दन पर चली गई। वह फकीर बोलाः देख नरक जाने का रास्ता आ गया। नरक का द्वार खोल लिया। जैसे उसने कहा, नरक का द्वार खोल लिया, वह होश वापस लौट आया, तलवार वापस म्यान में चली गई। उस फकीर ने कहा कि यही स्वर्ग जाने का रास्ता है। होश, जीवन में जो भी हो बोधपूर्वक हो।
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