किसी गाँव में एक ताले की दुकान थी, ताले वाला रोजाना अनेकों ताले तोडा करता और अनेकों चाबियाँ भी बनाया करता था।ताले वाले की दुकान में एक बच्चा भी रोज काम सीखने आया करता
था। बच्चा रोज देखा करता कि छोटी सी चाबी इतने मजबूत ताले को भी कितनी आसानी से खोल देती है। एक दिन बच्चे ने ताले वाले से पूछा कि हथौड़ा ज्यादा शक्तिशाली है। और हथौड़े के अंदर लोहा भी ज्यादा है, आकार में भी यह चाबी से बड़ा है।लेकिन फिर भी हथौड़े से ताला तोड़ने में बहुत समय लगता है। और इतनी छोटी चाबी बड़ी ही आसानी से इस मजबूत ताले को कैसे खोल देती है। दूकानदार ने मुस्कुरा के बच्चे से कहा कि हथौड़े से तुम ताले पर ऊपर से प्रहार करते हो। और उसे तोड़ने की कोशिश करते हो। लेकिन चाबी ताले के अंदर तक जाती है, उस के अंतर्मन को छूती है। और उस के अंन्दर घूम कर ताले के अंतर्मन को बिना चोट किए स्पर्श करती है। और ताला आराम से खुल जाया करता है।
वाह! कितनी गूढ़ बात कही है। इसी प्रकार आप चाहे कितने भी शक्तिशाली क्यों ना हो, ताकतवर क्यों ना हो। लेकिन जब तक आप लोगों के दिल में नहीं उतरेंगे, उन के अंन्तर मन को नहीं छुएंगे। तब तक कोई आप की इज्जत नहीं करेगा, आप की कोई परवाह नहीं करेगा। जिस प्रकार हथौड़े के प्रहार से ताला खुलता नहीं बल्कि टूट जाता है। ठीक वैसे ही अगर आप शक्ति के बल पर कुछ काम करना चाहते हैं। तो आप हर बार नाकाम और असमर्थ रहेंगे।क्योंकि शक्ति के द्वारा आप लोगो के दिलो को कभी भी छू नही सकते हो।
इसी तरह प्रभु को भी पाने के लिए हमे, प्रभु को दिल से, प्यार से, हर-रोज पुकारना होगा। हमारा ताला दसवां द्वार है, और हमारी चाबी उस सचे गुरू द्वारा बक्शी गई नाम की दात है। जब हम हर रोज उस मालिक को याद कर के भजन सिमरन पर बैठेंगे। तो यह भजन सिमरन हमारा उस चाबी का काम करेगा। जो हमारे दसवें द्वार को खोल देगा।
याद रखिए एक भजन सिमरन ही है। जो उस चाबी का काम कर सकता है, और उस ताले रूपी हमारे दसवें द्वार को पार कर सकता है। और खोल भी सकता है, अब हमें अपने मन को अहंकार के वश में रख कर हथोड़ा बने रहने देना है। या फिर मन को भजन सिमरन मे लगा के उस चाबी का रूप बनाना है।
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