अगर सेवा करते वक़्त मन में रोब वाली भावना हो तो - वो सेवा नहीं .
अगर सेवा करते वक़्त मन में नम्रता ना पनपे तो - वो सेवा नहीं
अगर सेवा करने का कारण गुरु का सेवा प्रसाद ही हो तो - वो सेवा नहींअगर सेवा को मजबूरी की भावना से निभाया तो - वो सेवा नहीं
सेवा तो जरिया है
करम काटने का ।
मन को विनम्र बनाने का ।
तन को चुस्त रखने का ।
मन में स्थिरता का माहौल पैदा करने का ।
सेवा ख़ुशी है , सेवा विश्वास है , सेवा प्यार है.
सेवा ख़ुशी है , सेवा विश्वास है , सेवा प्यार है.
बड़े भाग्यशाली हैं वो जिन्हें सेवा का मौका मिलता है क्योंकि सेवा भी उसी को मिलती है जिन पर सतगुरु की रहमत होती है। जिनके अंदर इंसानियत का जज्बा होता हैं.
इसलिए सेवा करने वालो की हमेशा कद्र करे उन्हें प्रोत्साहन दे क्योकि एक सच्चा सेवादार उस दीपक की तरह होता है जो खुद जल कर भी अंधेरे को दूर करके हमें रौशनी देते हैं.
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