Sunday, 14 April 2019

054 - दुनिया में किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता ?


एक घर के मुखिया को यह अभिमान हो गया कि उसके बिना उसके परिवार का काम नहीं चल सकता उसकी छोटी सी दुकान थी । उससे जो आय होती थी, उसी से उसके परिवार का गुजारा चलता था चूंकि कमाने वाला

Thursday, 4 April 2019

रूहानी मार्ग की बातें - जो करेगा, वो भरेगा

1. जो करेगा, वो भरेगा  - "कोई लाख अपने गुनाह छिपाये। उस रब  से कुछ नहीं छिपा सकते। जब उसकी मार पड़ती है तब अच्छे-अच्छों की अक्ल ठिकाने लग जाती है। तब उसे अपने गुनाह याद आने लग जाते हैं कि, मैंने किस के साथ क्या किया। इसलिए हमेशा एक बात याद रखिए -"जो करेगा, वो भरेगा। " हम सब उस

Monday, 1 April 2019

053 - पाप कहाँ कहाँ तक जाता है ?



एक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगा में समा गए और गंगा भी पापी हो गयी .

Thursday, 14 March 2019

052 - परमात्मा की प्राप्ति कैसे होती है ?

        
एक राजा था। वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था। वह नित्य अपने इष्ट देव को बडी श्रद्धा से पूजा-पाठ ओर याद करता था। एक दिन इष्ट देव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये तथा कहा---"राजन् मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं | बोलो तुम्हारी  कोई इचछा है ?"

Monday, 4 March 2019

051 - हमारे वर्तमान जीवन के अस्तित्व का आधार क्या है ?


 हमारे जीवन का आधार हमारी मन ,इंद्रियां या शरीर नही बल्कि आत्मा है । जो कि अमर अविनाशी अजन्मा है । हमारी आत्मा बिल्कुल परमात्मा की तरह ही ज्ञान ,शक्ति एवम आनंद रूप मानी जाती है । जिसे न आग जला सकती है, न पानी या अन्य चीजों से नष्ट हो सकती है । यह तो हुआ आत्मा का संक्षिप्त परिचय

Thursday, 21 February 2019

050 - एक सचे सत्संगी के सामने राजा को क्यों झुँकना पड़ा ?


गुरु अर्जुन साहेब जी महाराज का एक सिख था. जिसका नाम था भाई माधो दास. भाई माधो दास लाहौर में रहते थे और बड़े सत्संगी थे. सतसंगत से इन्हें इतना प्रेम था कि ये सतसंग की कहीं भी सूचना मिले तो ये सब

Thursday, 14 February 2019

रूहानी मार्ग की बातें - 'शब्द की कमाई' से ही मिलना है।

1. देह तो दुःख सुख का घर है, इसमे तो दोनों ही जरुर आयेंगे, सो इसे अच्छा मान के भुगत ले। जो कई वर्षो का दुःख होता है, वह सत्संगी को थोड़े दिनों में ही भुगताया जाता है, सो किसी बात की चिंता न करना.

Saturday, 9 February 2019

049 - एक भूले भटके जीव को कबीर जी ने कैसे सही रास्ता दिखाया ?

एक बार बरसात के मौसम मेँ अचानक साधु महात्मा कबीर साहब के घर पर आ गए . बरखा के कारण कबीर साहब दो दिन से कपड़ा बेचने बाजार मेँ नहीँ जा पाए थे. घर मेँ खाने का प्रबंध पूरा नहीँ था.

Thursday, 31 January 2019

048 - सचखंड जाने के कितने विक्लप है ?

कबीर साहेब मर्तलोक से सचखंड जाने के इस क्रम को चार भागों में भांटते है।

1. चींटी चाल -- कबीर साहेब कहते है के इस अभ्यास में सबसे पहले जीव की हालत चींटी जैसी होती है जिस तरह चींटी दीवार पर चढ़ती है गिर जाती है फिर चढ़ती है फिर गिर जाती है।।शुरू शुरू में इस अभ्यास में प्रेम औऱ विश्वास से काम लेना पड़ता है।

Thursday, 24 January 2019

047 - गुरू कौन है ?

मैने एक आदमी से पूछा कि गुरू कौन है ! वो सेब खा रहा था,उसने एक सेब मेरे हाथ मैं देकर मुझसे पूछा इसमें कितने बीज हें बता सकते हो ? 

Thursday, 17 January 2019

046 - सतगुरु ने नामदेव जी की लाज कसे रखी ?

     
 नामदेव जी एक पूर्ण संत हुए हैं। उनके गुरु ने उन्हें नाम की दौलत दी जो संसार में सबसे अमूल्य वस्तु है। नामदेव के घरवाले सभी सांसारिक लोग थे इसलिए आप इस आंतरिक भेद को उन से छिपाकर रखते थे।

Thursday, 10 January 2019

रूहानी मार्ग की बातें - गुरु के शबद रूपी झाड़ू


1. संतमत में आप कभी नहीं हारते, आपकी हमेशा जीत होती है। आपकी कभी हार नहीं होती। महाराज जी (महाराज सावन सिंह) कहा करते थे की अगर आप मेरे पास अपनी कामयाबी लेकर नहीं आ सकते, तो कम से

Friday, 28 December 2018

045 - राबा बसरी ने 7 मुल्कों की बादशाही क्यों ठुकराई ?

बीबी राबा बसरी इरान की एक मशहूर संत हुई है. एक दफा वह अपनी कुटिया में 6 दिन भजन में बैठी थी

Wednesday, 19 December 2018

044 - मालिक ने कबीर जी की लाज कसे रखी ?


भगत कबीर जी की बेटी की शादी का समय नजदीक आ रहा था। सभी नगर  वासीयों में कानाफूसी चल रही थी कि देखो कबीर की बेटी की शादी है,और इनको कोई फिक्र ही नहीं। पता नहीं यह बरातियों की आवभगत

Thursday, 13 December 2018

043 - संत भजन सिमरन पर इतना जोर क्यों देते हैं ?


एक बार बाबा सावन सिंह जी महाराज से एक सत्संगी ने पूछा कि हुज़ूर! आप अपने सत्संग में भजन सिमरन पर ही इतना जोर क्यों देते हैं? जबकि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि हमसे भजन सिमरन

Tuesday, 4 December 2018

042 - एक सत्संगी की रूह कहाँ तक जा सकती है ?




बड़े हुजूर महाराज जी से किसी सत्संगी ने पूछा -  हुजूर ! जहाँ से रूह को लाया गया है, क्या वहाँ वह बैगुनाह थी ?
    बड़े महाराज जी उत्तर देते हुए कहते है - बेशक ! ये रूहे अचेत पड़ी हुई थी, मालिक ने इन्हें इस सृष्टि में भेज

Wednesday, 28 November 2018

रूहानी मार्ग की बातें - सिमरन भजन की बीमा पालिसी

1. थोडा थोडा किया भजन एक दिन बहुत ज्यादा बोनस के साथ हमें सतगुरू एक साथ देते है कतरे कतरे से तालाब और बूँद से सागर भरता है हम जो सेवा में मिटी की एक टोकरी उठाते है सतगुर हमें उसकी भी मजदूरी

Thursday, 22 November 2018

041 - ईश्वर को कहाँ खोजना चाहिए ?



 ईश्वर को ढूँढ़ने के लिए, उसे प्राप्त करने के लिए हम नाना प्रकार के प्रयत्न करते हैं, पर उसे नहीं पाते, कहते हैं कि वह सर्वत्र है, वह सब जगह हैं, पर फिर भी हमें क्यों नहीं दीखता ? 


उसे प्राप्त करने को धन, वैभव, जीवन तक नष्ट करते हैं, पर पाते नहीं, अन्त में निराश हो कहते हैं कि-ईश्वर नहीं हैं। भाई ईश्वर हैं! पर उसे खोजने में गलती कर रहे हो, हम उसे धन वैभव से नहीं पा सकते, अगर उसे पाना हैं

Tuesday, 13 November 2018

040 - हमे दुनिया को किस नज़र से देखना चाहिए ?



जो जैसा देखना चाहता है उसे दुनियां वैसी ही दिखायी देती है ! एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ नदी में स्नान कर रहे थे । तभी एक राहगीर वंहा से गुजरा तो महात्मा को नदी में नहाते देख वो उनसे कुछ पूछने के

Tuesday, 6 November 2018

039 - हमे संतोष कैसे आयेगा ?


एक समय की बात है शेख सादी कही जा रहे थे . सब जानते है के फकीरों के पास रूहानी धन के इलावा और कुछ नही होता है. दोपहर का समय था धुप बहुत तेज थी. शेख सादी धुप मे नंगे पाँव

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