बहुत समय पहले की बात है, एक संत हुआ करते थे। उनकी भक्ति ऐसी थी कि वो अपनी धुन में इतने मस्त हो जाते थे और उनको कुछ होश नहीं रहता था। उनकी अदा और चाल इतनी मस्तानी हो
गुरुबॉक्स चैनल महान संतों और उनकी शिक्षाओं को समर्पित है। गुरुबॉक्स का लक्ष्य लोगों को अधिक भजन और सिमरन/ध्यान के लिए प्रेरित करना है।
एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवत चला रहे थे। वे रोज अलग-अलग गांवों में जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया
किसी राजमहल के द्वारा पर एक साधु आया और द्वारपाल से बोला कि भीतर जाकर राजा से कहे कि उनका भाई आया है।
मनुष्य मन के संकल्प और विकल्प पानी के बुलबुले की तरह ही एक क्षण में बनते और दूसरे ही क्षण में फूट भी जाने वाले अर्थात् मिट जाने वाले हैं। इसलिए हमारे महापुरुषों ने निर्णय दिया है कि कभी
एक गुरू का दास रोज गुरू के द्वार पर जा कर रोज गुरू को पुकारा करता था. लेकिन गुरू के दर्शन नहीं कर पाता था. इसलिए वह हमेशा यही सोच कर चला जाता था कि शायद मेरी भक्ति भाव में कुछ
एक बादशाह का वजीर बहुत बुद्धिमान और परमार्थी विचारों वाला था। एक दिन बादशाह ने वजीर से पूंछा कि, परमात्मा के साथ मिलाप कैसे हो सकता है ? वज़ीर ने कहा कि, परमात्मा स्वयं कामिल
दयाबाई सावधान करती हैं कि सतगुरु को मनुष्य-भाव से देखने और समझने की अज्ञानता नहीं करनी चाहिये । सतगुरु के शरीर की ओर नहीं, बल्कि उनके अंदर काम कर रही प्रभु की शक्ति की
एक सूफी फकीर थे, शेख फरीद साहिब। उनकी प्रार्थना में एक बात हमेशा होती थी – उसके शिष्य उससे पूछने लगे कि यह बात हमारी समझ में नहीं आती, हम भी प्रार्थना करते हैं, औरों को भी हमने
सिमरन करने वाला मनुष्य खुद को कभी अकेला या असहाय अनुभव नहीं करता क्योकि अब उसके साथ परमात्मा खड़ा होता है। सिमरन बेकार कभी नहीं जाता। सत्य तो केवल यही है कि परमात्मा की
परमात्मा का कोई धमॆ नही होता. मौन के क्षणों मे आप जहां बैठ गए वही तीथॆ बन जाते है. वही परमात्मा नाचने लगता है. मौन होना सीखें, यह मौन ही ध्यान है इसी ध्यान के क्षण मे आप परमात्मा
एक भिखारी सेठ के घर के बाहर खड़ा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था। सेठानी काफी देर से उसको कह रही थी,आ रही हूँ। रोटी हाथ मे थी पर फिर भी कह रही थी की
एक बार स्वर्ग से घोषणा हुई कि भगवान सेब बॉटने आ रहे है सभी लोग भगवान के प्रसाद के लिए तैयार हो कर लाइन लगा कर खड़े हो गए।