बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे। उन के पास शिक्षा लेने हेतु दूर दूर से शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, स्वामीजी आपके गुरु कौन है ?
गुरुबॉक्स चैनल महान संतों और उनकी शिक्षाओं को समर्पित है। गुरुबॉक्स का लक्ष्य लोगों को अधिक भजन और सिमरन/ध्यान के लिए प्रेरित करना है।
बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे। उन के पास शिक्षा लेने हेतु दूर दूर से शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, स्वामीजी आपके गुरु कौन है ?
एक बार किसी ने कबीर जी से पूछा किसको भज रहे हो जी? कबीर जी ने कहा " राम जी को"
फिर उसने पूछा "कौन से राम जी को ?किसी जंगल में एक संत महात्मा रहते थे। सन्यासियों वाली वेश भूषा थी और बातों में सदाचार का भाव, चेहरे पर इतना तेज था कि कोई भी इंसान उनसे प्रभावित हुए नहीं रह सकता था।
एक व्यक्ति अपने गुरु के पास गया और बोला, गुरुदेव, दुख से छूटने का कोई उपाय बताइए। शिष्य ने थोड़े शब्दों में बहुत बड़ा प्रश्न किया था। दुखों की दुनिया में जीना लेकिन उसी से मुक्ति
एक साधु था। एक आदमी उसके पास आया और उसने कहा, और वह आदमी जो था, भारत में बड़ा प्रसिद्ध आदमी था, बहुत बड़ा सेनापति था। उसके दोनों तरफ तलवारें लटकी हुई थीं।
एक शहर में एक अमीर सेठ रहता था। उसके पास बहुत पैसा था। वह बहुत फैक्ट्रियों का मालिक था। एक शाम अचानक उसे बहुत बैचेनी होने लगी। डॉक्टर को बुलाया गया सारे जाँच करवा लिये
एक गृहस्थ भक्त अपनी जीविका का आधा भाग घर में दो दिन के खर्च के लिए पत्नी को देकर अपने गुरुदेव के पास गया । दो दिन बाद उसने अपने गुरुदेव को निवेदन किया के अभी मुझे घर जाना है।
एक बार की बात है की किसी राजा ने यह फैसला लिया के वह प्रतिदिन 100 अंधे लोगों को खीर खिलाया करेगा। एक दिन खीर वाले दूध में सांप ने मुंह डाला और दूध में विष डाल दी और ज़हरीली
एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवत चला रहे थे। वे रोज अलग-अलग गांवों में जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया
किसी राजमहल के द्वारा पर एक साधु आया और द्वारपाल से बोला कि भीतर जाकर राजा से कहे कि उनका भाई आया है।
मनुष्य मन के संकल्प और विकल्प पानी के बुलबुले की तरह ही एक क्षण में बनते और दूसरे ही क्षण में फूट भी जाने वाले अर्थात् मिट जाने वाले हैं। इसलिए हमारे महापुरुषों ने निर्णय दिया है कि कभी
एक गुरू का दास रोज गुरू के द्वार पर जा कर रोज गुरू को पुकारा करता था. लेकिन गुरू के दर्शन नहीं कर पाता था. इसलिए वह हमेशा यही सोच कर चला जाता था कि शायद मेरी भक्ति भाव में कुछ
एक बादशाह का वजीर बहुत बुद्धिमान और परमार्थी विचारों वाला था। एक दिन बादशाह ने वजीर से पूंछा कि, परमात्मा के साथ मिलाप कैसे हो सकता है ? वज़ीर ने कहा कि, परमात्मा स्वयं कामिल
दयाबाई सावधान करती हैं कि सतगुरु को मनुष्य-भाव से देखने और समझने की अज्ञानता नहीं करनी चाहिये । सतगुरु के शरीर की ओर नहीं, बल्कि उनके अंदर काम कर रही प्रभु की शक्ति की