अगर सेवा करते वक़्त मन में रोब वाली भावना हो तो - वो सेवा नहीं .
गुरुबॉक्स चैनल महान संतों और उनकी शिक्षाओं को समर्पित है। गुरुबॉक्स का लक्ष्य लोगों को अधिक भजन और सिमरन/ध्यान के लिए प्रेरित करना है।
एक बार दशम पातशाही श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का दरबार सजा हुआ था। कर्म-फल के प्रसंग पर पावन वचन हो रहे थे कि जिसकी जो प्रारब्ध है उसे वही प्राप्त होता है, कम या अधिक किसी को
बर्मा में एक बौद्ध भिक्षु को कहा गया कि वह नए मंदिर के लिए, विशेषकर उसके द्वार के लिए एक विशेष ड्राइंग, एक विशेष डिजाइन तैयार करे। तो भिक्षु ड्राइंग तैयार करने में लग गया।
मन को वश करके प्रभु चरणों में लगाना बड़ा ही कठिन है। शुरुआत में तो यह इसके लिये तैयार ही नहीं होता है । लेकिन इसे मनाएं कैसे ?
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह तो दिया, पर बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया. उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.
बहुत समय पहले की बात है| एक गाँव में एक मूर्तिकार ( मूर्ति बनाने वाला ) रहता था| वह ऐसी मूर्तियाँ बनता था, जिन्हें देख कर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था ।
एक बार की बात है एक बहुत ही पुण्य व्यक्ति अपने परिवार सहित तीर्थ के लिए निकला। कई कोस दूर जाने के बाद पूरे परिवार को प्यास लगने लगी, ज्येष्ठ का महीना था, आस पास कहीं पानी नहीं दिखाई पड़ रहा था। उसके बच्चे प्यास से व्याकुल होने लगे। समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
एक राजा था। वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था। वह नित्य शनि देव की बडी श्रद्धा से पूजा-पाठ व स्तुति करता था।
किसी गाँव में एक ताले की दुकान थी, ताले वाला रोजाना अनेकों ताले तोडा करता और अनेकों चाबियाँ भी बनाया करता था।ताले वाले की दुकान में एक बच्चा भी रोज काम सीखने आया करता
एक बार एक युवक पुज्य कबीर साहिब जी के पास आया और कहने लगा, ‘गुरु महाराज! मैंने अपनी शिक्षा से पर्याप्त ज्ञान ग्रहण कर लिया है।
एक समय की बात है कि श्री गुरू नानक देव जी महाराज और उनके 2 शिष्य बाला और मरदाना किसी गाँव में जा रहे थे। चलते चलते रास्ते में एक मकई का खेत आया। बाला स्वभाव से
बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे। उन के पास शिक्षा लेने हेतु दूर दूर से शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, स्वामीजी आपके गुरु कौन है ?
एक बार किसी ने कबीर जी से पूछा किसको भज रहे हो जी? कबीर जी ने कहा " राम जी को"
फिर उसने पूछा "कौन से राम जी को ?