1. थोडा थोडा किया भजन एक दिन बहुत ज्यादा बोनस के साथ हमें सतगुरू
एक साथ देते है कतरे कतरे से तालाब और बूँद से सागर भरता है हम जो सेवा में मिटी की
एक टोकरी उठाते है सतगुर हमें उसकी भी मजदूरी
गुरुबॉक्स चैनल महान संतों और उनकी शिक्षाओं को समर्पित है। गुरुबॉक्स का लक्ष्य लोगों को अधिक भजन और सिमरन/ध्यान के लिए प्रेरित करना है।
Wednesday 28 November 2018
Thursday 22 November 2018
041 - ईश्वर को कहाँ खोजना चाहिए ?
ईश्वर को ढूँढ़ने के लिए, उसे प्राप्त करने के लिए हम नाना प्रकार के प्रयत्न करते हैं, पर उसे नहीं पाते, कहते हैं कि वह सर्वत्र है, वह सब जगह हैं, पर फिर भी हमें क्यों नहीं दीखता ?
उसे प्राप्त करने को धन, वैभव, जीवन तक नष्ट करते हैं, पर पाते नहीं, अन्त में निराश हो कहते हैं कि-ईश्वर नहीं हैं। भाई ईश्वर हैं! पर उसे खोजने में गलती कर रहे हो, हम उसे धन वैभव से नहीं पा सकते, अगर उसे पाना हैं
Tuesday 13 November 2018
040 - हमे दुनिया को किस नज़र से देखना चाहिए ?
जो जैसा देखना चाहता है उसे दुनियां वैसी ही दिखायी देती है ! एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ नदी में स्नान कर रहे थे । तभी एक राहगीर वंहा से गुजरा तो महात्मा को नदी में नहाते देख वो उनसे कुछ पूछने के
Tuesday 6 November 2018
Monday 29 October 2018
038 - हमारे कर्मो का लेखा जोखा कैसे काम करता है ?
जो बोयेगा वही पायेगा , तेरा किया आगे आयेगा .
कुछ वर्ष पूर्व एक बुजुर्ग महिला का देहान्त हो गया ;आस-पड़ोस के-रिश्तेदार सब इकठ्ठा हो गये ! doctor ने भी Verify कर दिया कि She is dead. दाह संस्कार के लिये जब शव को ले जाने लगे तो आश्चर्य की बात वह
Tuesday 23 October 2018
रूहानी मार्ग की बातें - कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए।
1. कहते हैं कि नाम सिमरन का सही समय है अमृत वेले यानि सुबह 3.00 से 6.00, ये भी कहा जाता है कि सुबह-सुबह अमृत वेले गुरु सतगुरु दया महर की टोकरी लेकर निकलते हैं और जो-जो भक्त उस वक़्त जागते हैं
उसे दया महर की दृष्टि देते हैं। उनकी झोलियाँ भर देते हैं। उसके कई जन्मों के कर्म तक काट देते हैं। उस प्यारे भक्त का भविष्य तक उज्जवल कर देते हैं।
2. मन काल और माया का एजेंट है और हमेशा इसी ताक में रहता है कि जीव को किसी न किसी तरह परमात्मा की भक्ति से दूर करूँ । यह मित्रता का स्वांग रचाकर शत्रुता करता है । इसलिए इस पर विश्वास करके अभ्यास में गफ़लत नहीं करनी चाहिए ।
3. हजरत ईसा ने कहा हैं : खुश किस्मत हैं वो लोग जो शोक मानते हैं, जिनके अंदर अपने प्रियतम का विरह हैं , उस से मिलने कि तड़प हैं। इस रचना में आकर जो इसके रचयिता के लिए तड़पते हैं, वे सचमुच खुशकिस्मत हैं। भाग्य शाली हैं। संतो की शिक्षा ऐसे भाग्यशाली और खुशकिस्मत जीवो के लिए ही हैं।
4. यदि दर्शन करने हों तो इसके लिए साधु ही श्रेष्ठ हैं और सुमिरन करना चाहें तो गुरु के वचनों को ही चुनें। इस जग से तरना (उद्धार, मुक्ति ) चाहते हैं तो आधीनता ( दीनता, नम्र ) उत्तम है। लेकिन डूबकर मरनेवालों के लिए तो अभिमान ही पर्याप्त है। अर्थात कभी भी अहंकार ( अभिमान ) नहीं करना चाहिए।
5. वह सूरज सबके ही अन्दर है । मगर सिर्फ़ पाक रूहें ही उसे देख पाती हैं । अन्दर जाने पर दिन और रात का फ़र्क नहीं रहता । नानक साहब ने आधी रात के समय अपने पुत्रों से कहा था - सूरज चढा हुआ है । पर उनके पुत्रों को बात समझ में नहीं आयी । तब गुरु साहिब ने यही बात अंगद साहिब से कही । वे अन्दर आना जाना जानते थे । उन्होंने तुरन्त कहा - जी हाँ ! चढा हुआ तो है ।
रूहानी मार्ग की बातें - कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए।
1. कहते हैं कि नाम सिमरन का सही समय है अमृत वेले यानि सुबह 3.00 से 6.00, ये भी कहा जाता है कि सुबह-सुबह अमृत वेले गुरु सतगुरु दया महर की टोकरी लेकर निकलते हैं और जो-जो भक्त उस वक़्त जागते हैं
Monday 22 October 2018
037 - आदमी को उस्ताद की क्यों जरूरत होती है ?
अंतर में सतगुरु से संपर्क बना रहने पर ही नाम का प्यार जाग्रत होता है। दुनियादारों की संगति से हमारी सुरत फिर इंद्रियों में आ गिरती है। इसलिए गुरु की संगति या सत्संग परम् आवश्यक है। गुरु के प्यार से हमें जगत का मोह छोड़ने और अंदर जाने की शक्त्ति प्राप्त होती है।
Friday 5 October 2018
036 - ईश्वर की बंदगी में सबर का क्या महतव है ?
बहुत समय पहले की बात है, एक संत हुआ करते थे । उनकी इबादत या भक्ति इस कदर थीं कि वो अपनी धुन में इतने मस्त हो जाते थे की उनको कुछ होश नहीं रहता था । उनकी अदा और चाल इतनी मस्तानी हो जाती थीं । वो जहाँ जाते , देखने वालों की भीड़ लग जाती थी।
Saturday 22 September 2018
035 - हमारा ध्यान सिमरन में क्यों नहीं लगता ?
हम सत्संगों में और संत महात्माओं के मुखाग्र से सुनते आते हैं, कि चलते-फिरते उठते-बैठते अपनी लिव नाम के सिमरन के साथ जोड़ के रखो ।
बहन या माँ किचन में हो या घर का काम काज करते हुए सिमरन करे। भाई दुकान या ऑफिस में भी अपने ख्याल को सिमरन के साथ जोड़ के रखें। लेकिन संत महात्मा ये भी कहते हैं कि ऐसे नाम का सिमरन
Wednesday 5 September 2018
034 - असली सत्संगी कोन है ?
हम सब यहॉ अपने पुराने कर्मों की वजह से ही इकठे हुए हैं. हर किसी का किसी से कुछ लेनदेन है.
अगर कोई हमें दुख देता है तो वो भी हमसे हमारे पिछले कर्मों का हिसाब ही ले रहा है. और ये तो बहुत अच्छी बात है कि हम अपना हिसाब इसी जन्म में ही पूरा करके चुका दें ताकि दुबारा हमें न आना पड़े.
Monday 13 August 2018
033 - सुकरात को रूहानी ज्ञान कैसे हुआ ?
सुकरात समुन्द्र तट पर टहल रहे थे| उनकी नजर तट पर खड़े एक रोते बच्चे पर पड़ी |
वो उसके पास गए और प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर पूछा , -''तुम क्यों रो रहे हो?''
Thursday 2 August 2018
Friday 27 July 2018
031 - हम कर्मो के बन्दनो में कैसे फसे हैं ?
महात्मा बुद्ध की एक कहानी है । वह अपनी यात्रा के दौरान एक जगह आकर रुके। तब एक व्यक्ति उनपर आकर थूकता है तो वो उस व्यक्ति से कहते और कुछ या समाप्त ? तो व्यक्ति हैरान होता उसे उमीद थी के बुद्ध चिलायेंगे क्रोधित होंगे मगर ऐसा नही हुआ और व्यक्ति क्षमा मांग कर और समाप्त कह कर आगे बढ़
Sunday 22 July 2018
030 - एक फकीर ने माया के बारे में कैसे समजाया ?
किसी गांव में एक फकीर घूमा करता था। उसकी सफेद लंबी दाढ़ी थी और हाथ में एक मोटा डंडा। चीथड़ों में लिपटा उसका ढीला—ढीला और झुर्रियों से भरा बुढ़ापे का शरीर। अपने साथ एक गठरी लिए रहता था सदा।
Thursday 12 July 2018
029 - हमे मालिक की रजा में क्यों रहना चाहिए ?
एक फकीर अरब मे हज के लिए पैदल निकला। रात हो जाने पर एक गांव मे शाकिर नामक व्यक्ति के दरवाजे पर रूका। शाकिर ने फकीर की खूब सेवा किया। दूसरे दिन शाकिर ने बहुत सारे उपहार दे कर बिदा किया।
Sunday 8 July 2018
028 - सत्संग की क्या महिमा है ?
सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है
मनुष्य के जीवन मे अशांति ,परेशानियां तब शुरु हो जाती है जब मनुष्य के जीवन मे सत्संग नही होता . मनुष्य जीवन को जीता चला जा रहा है लेकिन मनुष्य ईस बारे मे नही सोचता की जीवन को कैसे जीना चाहिये.
Saturday 30 June 2018
027 - हमसे सिमरन क्यों नहीं होता ?
हम सत्संगों में और संत महात्माओं के मुखाग्र से सुनते आते हैं, कि चलते-फिरते उठते-बैठते अपनी लिव नाम के सिमरन के साथ जोड़ के रखो । बहन या माँ किचन में हो या घर का काम काज करते हुए सिमरन करे।
Thursday 21 June 2018
Sunday 17 June 2018
025 - असली सेवा क्या होती है ?
जब हज़रत जुनैद बग़दादी क़ाबा को जा रहे था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा, जो ज़ख्मी हालत में पड़ा था। उसके चारों पाँव पर से गाड़ी गुज़र गयी थी और वह चल नही सकता था। फ़क़ीर को रहम आया, लेकिन
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किसी व्यक्ति को बहुत जोरो की प्यास लगी हो वह प्यास के मारे तड़प रहा हो उसे पानी न मिल रहा हो अन्य तमाम प्रकार के पेय पदार्थ उसे पिलाये जा...
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किसी गाँव में एक ताले की दुकान थी, ताले वाला रोजाना अनेकों ताले तोडा करता और अनेकों चाबियाँ भी बनाया करता था।ताले वाले की दुकान में एक बच्चा...
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1. जो व्यक्ति लगातार अंदर सिमरन - अभ्यास करते रहने की आदत डाल लेता है , उसे बड़ा सुकून मिलता है और उसे लगातार सिमरन कर...
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एक फकीर अरब मे हज के लिए पैदल निकला। रात हो जाने पर एक गांव मे शाकिर नामक व्यक्ति के दरवाजे पर रूका। शाकिर ने फकीर की खूब सेवा किया।...